हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल लिमिटेड के सौजन्य से ‘राजभाषा चेतना कार्यक्रम’ का आयोजन
दिनांक 06 मार्च 2024,
केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में हिन्दी पारिषद के
तहत ‘राजभाषा चेतना कार्यक्रम’ का
आयोजन ‘हिन्दी विभाग’ और ‘हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल लिमिटेड’ (भारत सरकार का
उद्यम) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम उद्घाटन सत्र के साथ ही तीन
सत्र में रखा गया। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय कुलगीत से हुई। इस आयोजन के
संयोजक हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डॉ धर्मेन्द्र प्रताप सिंह ने सभी का स्वागत
किया। कार्यक्रम की संचालिका शोधार्थी प्रगति ने स्वागत भाषण के पश्चात् अध्यक्षीय
उद्बोधन के लिए हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो॰ (डॉ) मनु को आमंत्रित किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए अतिथियों को स्वरचित कविता समर्पित की, जिसका उन्वान है- ‘तुम मेरे पास हो,/ खूब करीब हो, फिर भी,/ तेरा
इन्तज़ार आज भी जारी है’/
अध्यक्षीय उद्बोधन के पश्चात उद्घाटन वक्तव्य श्री के॰ के॰ रामचंद्रन, उप-निदेशक (राजभाषा) ने कार्यक्रम को आगे पढ़ते हुए कहा कि, “हम यहां कक्षा लेने आए थे पर उद्घाटन का कार्य मिला, यह मेरे लिए गर्व की बात है।” साथ ही, 28 फरवरी 2024 को ‘हिन्दी परिषद’ के तहत आयोजित ‘पोस्टर मेकिंग कार्यक्रम’ में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागियों को प्रोत्साहन हेतु पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रथम स्थान शोधार्थी ‘मनोज बिस्वास, योई जामोह, प्रियंका की टीम’ को, द्वितीय स्थान पर परास्नातक द्वितीय वर्ष के दो समूह ‘श्रेया पी, तेजोलक्ष्मी एम., स्वाति ए वी’ एवं ‘षिन्षी प्रिया पी, आर्या एम., श्रीलक्ष्मी एम आर' की टीम’, जबकि तृतीय स्थान परास्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा ‘हिलमा, स्नेहा, अमरीन' की टीम को प्राप्त हुआ। इसके साथ ही विभाग की सहायक आचार्य डॉ. सुप्रिया पी ने अपनी पुस्तक एचओसीएल, कोची के मुख्य प्रबंधक (मानव संसाधन/राजभाषा) श्री ओ॰ रमेश को भेंट की। विश्वविद्यालय के राजभाषा अधिकारी अनीश कुमार टी॰ के॰ ने राजभाषा पर बात करते हुए कहा कि अच्छी हिन्दी के साथ अच्छी अंग्रेजी बहुत जरूरी है। शोधार्थी प्रगति ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों, विभागाध्यक्ष प्रो मनु, सहायक आचार्य डॉ सुप्रिया पी, सहायक आचार्य डॉ रामविनोद रे, सहायक आचार्य डॉ सीमाचंद्रन, सहायक आचार्य डॉ धर्मेंद्र प्रताप सिंह, सभी शोधार्थी, परास्नातक प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं का धन्यवाद किया। इसके बाद उद्घाटन सत्र की समाप्ति के साथ-ही अगला सत्र शुरू हुआ। इस सत्र का कार्यक्रम तीन हिस्सों में विभाजित था, जिसका शीर्षक है- ‘जीवन में सफलता हासिल कैसे करें’; ‘राजभाषा नीति और सूचना प्रौद्योगिकी’ तथा ‘राजभाषा और रोजगार।’
‘जीवन में सफलता हासिल कैसे करें’ पर व्याख्यान देने
हेतु भारत पेट्रोलियम, कोयंबटूर के वरिष्ठ प्रबंधक (प्रचलन) के
श्री पी॰ के॰ पद्मनाभ थे। उन्होंने अपनी बात की शुरुआत छात्रों को पीछे के बदले आगे आकर बैठने से की। उन्होंने कहा कि हम हर काम
हेतु ख़ुद जिम्मेदार हैं। पहले ही हम उतना सोच लेते हैं जो आगे होगा ही नहीं। हर
चीज को देखने का अपना नजरिया है। उन्होंने टीम और तस्वीर के माध्यम से बच्चों को
जानने और परखने हेतु छोटे-छोटे दो प्रयोग किए। दो-दो छात्रों की टीम बनाई और एक का
परिचय दूसरे से करवाने का सार्थक प्रयास किया। दो तस्वीर को एक साथ रख कर देखने का
नजरिया बताया। कहा कि जब तक हम किसी चीज़ को 360 डिग्री पर
नहीं देखते तो हजारों अशुद्धियां रहने की गुंजाइश बनी रहती है, इसलिए हमें हर पहलू पर गौर करना होगा। उनका आखिरी वाक्य रहा कि ‘अंत सोचकर शुरूआत करें’। सत्र बहुत रोचक रहा ।
दूसरे सत्र ‘राजभाषा नीति और
सूचना प्रौद्योगिकी’ पर बात करने के लिए इंकम टैक्स विभाग,
कोच्चि के राजभाषा उप-निदेशक (सेवानिवृत्त) श्री के॰ के॰ रामचंद्रन
थे। इन्होंने अपने ऑनलाइन प्रस्तुति से सबों का मनमोह लिया। उनकी प्रस्तुति बहुत
सरल और सारगर्भित रही। राजभाषा पर चर्चा के दौरान राजभाषा बनने की प्रक्रिया और
उसके उपयोग-प्रयोग को समझाया। संविधान में राजभाषा की स्थिति को लेकर अनुच्छेद 120,
210 और 343-351 की जानकारी दी। विश्व हिंदी
दिवस (10,जनवरी), हिन्दी दिवस (14, सितंबर), अनुवाद दिवस (30, सितंबर),
राजभाषा से संबंधित ‘अधिनियम (सन 1963)’,
‘संकल्प ( सन 1968)’, ‘नियम ( सन 1976)’,
‘राष्ट्रपति का आदेश (सन 1960)’, संसदीय
राजभाषा समिति में सदस्यों की संख्या (30, जिसमें 10 राज्यसभा और 20 लोकसभा से सदस्य) और किसी भी सरकारी
व ग़ैर सरकारी संस्थाओं के नाम लिखने का क्रम (क्षेत्रीय भाषा, राजभाषा, अंग्रेजी और सब में अक्षर समान हो) भी
बताया। उन्होंने यूनीकोड के बारे में बताते हुए यूनीकोड के अद्यतन संस्करण (15॰1) को 161 से अधिक लिपियों के साथ 1,49,813 अक्षरों और चिन्हों को यूनिकोड करने वाला, साथ ही यह
भी जानकारी दी कि प्रत्येक वर्ष इसमें लिपि, चिन्ह, शब्दों को मार्च महीने में जोड़ा जाता है। श्रुतलेख, मंत्र, ई
महाशब्दकोश, कंठस्थ जैसे ऑनलाइन टाइपिंग के निशुल्क
प्लेटफार्म की जानकारी भी मिली।
कार्यक्रम
के अंतिम दौर में ‘राजभाषा और रोज़गार’ पर बात करने के लिए एचओसीएल, कोची के मुख्य प्रबंधक
(मानव संसाधन/राजभाषा) श्री ओ॰ रमेश ने छात्रों को हिन्दी पढ़ने से रोज़गार
मिलेगा या नहीं, विषय पर लंबी बात की। अध्यापन के क्षेत्र
में सभी स्तरों पर (केंद्रीय, राजकीय, निजी,
अनुदान आदि) कार्य की अपार संभावनाए है। अनुवादक और राजभाषा अधिकारी
भी रोजगार के नजरिए से हिन्दी वालों को एक सुनहरा मौका देती है। इन्होंने इसके बाद
प्रश्नोत्तरी वाली एक छोटी सी प्रतिस्पर्धा रखी और सभी छात्रों और शिक्षकों को राजभाषा के प्रोत्साहन हेतु भेंट प्रदान किया। कार्यक्रम के आयोजन में शोधार्थी प्रगति, इलियास मोहम्मद, घनश्याम कुमार, एम ए अंतिम वर्ष के छात्र सायंत आर, विष्णु सुरेश और अश्विन कृष्णा बि का विशेष सहयोग रहा। कुल 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
घनश्याम कुमार
हिन्दी विभाग, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय
💐💐❤️
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