लेखक ही रोजगार की नींव है- अरूण माहेश्वरी
16 नवंबर 2023, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग में "हिंदी रोजगार: लेखक, प्रकाशक,प्रकाशन और पाठक" विषय पर एक बोधगम्य कार्यक्रम प्लेसमेंट सेल के अंतर्गत आयोजित किया गया जिसमें मुख्य वक्ता 'वाणी फाउंडर' के प्रबंध निदेशक श्री अरूण महेश्वरी जी रहे। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत समारोह से हुई। एम ए के विद्यार्थियों ने सभी मेहमानों को फूल प्रदान कर स्वागत किया।
स्वागत अभिभाषण में पूर्व विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर तारु एस पवार ने सभी का स्वागत करते हुए रोजगार प्रकोष्ठ की शुरुआत से लेकर अब तक की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कार्यक्रम की शुरूआत से लेकर अब तक जिन्होंने भी प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रूप से जो भागीदारी निभाई है वो सराहनीय हैं तथा उन सभी का हिंदी भाषा विभाग की ओर बहुत बहुत स्वागत व अभिनंदन।
सत्र की अध्यक्षता हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनु जी ने की। अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि- 'जो हमारे पास नहीं है वो ही हम अपनी जिंदगी का मकसद समझते हैं इसलिए ही जिंदगी हार का अफसाना है।'
उन्होंने अपनी स्वयं की एक कविता का पाठ किया - "कभी कभी सब्ज़ी में /इमली ज्यादा तो कभी हल्दी ज्यादा/तो कभी मिर्च ज्यादा तो कभी नमक ज्यादा/एक दिन इन सबका काफी इजाफा/इसलिए मैंने तुझसे मोहब्बत नहीं की,/क्योंकि तेरे प्यार में/ गम ज्यादा,रुलायी ज्यादा, टूटन ज्यादा तनाव ज्यादा, बिखराव ज्यादा/इसलिए मैंने तुझसे मोहब्बत नहीं की।"
उन्होंने कहा कि प्लेसमेंट की आवश्यकता सभी को है। उन्होंने अपनी कविता का वाचन करते हुए संवेदनशील व्यक्तित्व को ही मनुष्य जीवन का ध्येय बताया। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि हिंदी में गजल लेखन के लिए ही उन्होंने उर्दू से एमए किया था। उन्होंने हिसार व भोपाल के मुशायरों में अपने काव्य पाठ के अनुभव साझा किए।
विभाग के सभी आचार्यों व विभाग के डीन प्रोफेसर जोसेफ कोयीपल्ली जी ने मिलकर सम्माननीय विशिष्ट वक्ता श्री अरुण महेश्वरी जी को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
बलदाऊ यादव ने (एमए द्वितीय वर्ष) अरुण महेश्वरी जी का परिचय देते हुए कहा कि इन्हें वर्ष 2008 में 'द फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स प्रकाशन पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है।
आशीर्वचन देते हुए प्लेसमेंट सेल के डायरेक्टर प्रो. जोसेफ कोयीपल्ली (डीन) ने कहा कि आप क्या बनना चाहते हैं यह आप पहले तय कीजिएगा। प्रस्तुत कार्यक्रम की निरंतरता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने सभी को सभी बधाई दी।
मुख्य वक्ता श्री अरूण महेश्वरी जी ने अपने संबोधन में कहा कि - लेखक ही रोजगार की नींव है। सपनों को अंजाम देने वालों का स्वागत करता हूं। लेखक व पाठक दोनों को अपने संस्कारों की जांच करते रहना चाहिए। पांडुलिपि को पुस्तक का बीज बताया। तथा वर्तमान समय में प्रचार के क्षेत्र में तथा लिटरेरी एजेंट के रूप में रोजगार के बहुत अवसर है। उन्होंने प्रो. मनु जी की कविता 'परिंदे' का वाचन किया।
इस कार्यक्रम में प्रो. मनु जी की पुस्तक 'बेरोजगारी का छतरा' का विमोचन (लोकार्पण) किया गया। जिसे वाणी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक की पहली प्रति प्रो. जोसेफ कोयीपल्ली (डीन) को भेंट की।
प्रश्नोत्तर सत्र में शोधार्थी इलियास मोहम्मद ने नव लेखकों के लिए प्रकाशन के अवसर तथा रोजगार की समस्याओं को श्री अरूण महेश्वरी जी के सामने रखा। शोधार्थी आदित्य ने अपनी कविता का वाचन किया। प्रियंका (एमए द्वितीय वर्ष) ने लेखन के क्षेत्र में रोजगार के कितने अवसर है? जैसे प्रश्न पूछे। प्रश्नों के प्रत्युत्तर में प्रो. जोसेफ कोयीपल्ली ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि इस क्षेत्र (लेखन व प्रकाशन) में किस प्रकार हमें रोजगार मिल सकता है तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता को हासिल किया जा सकता है। शोधकर्ता इलियास मोहम्मद के प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रो मनु जी ने बताया कि कईं बार उनकी रचनाएँ भी रिजेक्ट हुयी है लेकिन जब वे कालिकट विश्वविद्यालय में एमफिल (1987) के छात्र रहे तब उनकी एक कविता 'साप्ताहिक हिंदुस्तान' में प्रकाशित हुयी थी। तथा कविता के लिए 75 रुपये मिले थे जिससे उन्हें जो उत्साह व ऊर्जा मिली थी वह आज भी अनवरत जारी है।
कार्यक्रम का संचालन एमए द्वितीय वर्ष की छात्रा तेजोलक्ष्मी ने किया। जो वर्तमान में प्लेसमेंट सेल की छात्राध्यक्ष है
इस संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉ सीमा चंद्रन (डीपीओ) सहायक आचार्य हिंदी विभाग ने किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उन्होंने बताया कि इस विभाग की रोजगार प्रकोष्ठ प्लेसमेंट सेल में अब तक कौन-कौन से प्रोग्राम संचालित हुए हैं उन सभी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए डॉ राम बिनोद रे (सहायक आचार्य हिंदी) जी की सक्रिय भागीदारी का उल्लेख करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे की रणनीति पर बात करते हुए कहा कि नेट/जेआरएफ के प्रथम प्रश्न पत्र व द्वितीय प्रश्न पत्र की निरंतर तैयारी करवायी जाएगी। तथा रोजगार संबंधी जानकारी व चर्चा-परिचर्चा संबंधी विशेष कार्यक्रम चलाए जायेंगे।
इस कार्यक्रम में डाॅ सुप्रिया पी. व सभी शोधार्थी व स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों की भागीदारी व उपस्थिति रही। कार्यक्रम संयोजिका डॉ सीमा चंद्रन ने सभी का धन्यवाद व आभार प्रकट करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
आलेख प्रस्तुति व सहयोग
इलियास मोहम्मद 'भारत' (शोधार्थी हिंदी)
श्रेया पी. (एमए द्वितीय वर्ष)
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