केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के विद्यार्थियों ने रिसर्चर्स फेस्ट -2023 में सहभागिता की
दिनांक 19 जून से लेकर 22 जून 2023 तक केरल विश्वविद्यालय, कार्यवटट्म तिरूवनंतपुरम के 'हिंदी विभाग' में 'रिसर्चर्स फेस्ट' का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत भाषण, प्रदर्शनी, वृत्त चित्र, परिचर्चा, एलुमनी मीट, सांस्कृतिक
कार्यक्रम, पुस्तक विमोचन, प्रपत्र प्रस्तुतिकरण ऐसी अनेक प्रतियोगिताओं को शामिल
किया गया।
प्रथम दिवस के उद्घाटन सत्र में 'समकालीन हिन्दी
साहित्य : विविध विमर्श' विषय को आधार बनाकर विभागाध्यक्ष 'प्रो. एस. आर.
जयश्री' द्वारा शोध
प्रपत्र प्रस्तुतिकरण प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिसमें केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, कासरगोड के 'हिन्दी विभाग' के शोधार्थियों (तरूण
कुमार, निशांत भूषण, शेफाली राय) और परास्नातक के
छात्रों (सुरेन्द्र, बलदाऊ) ने भागीदारी की।
केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय
के परास्नातक छात्र सुरेन्द्र ने 'दलित विमर्श' को लेकर अपनी प्रस्तुति दी और कई प्रश्न उठाए? दलित विमर्श को वर्षों से गंभीर चुनौतियों का सामना करता रहा है और
आज भी संघर्षरत है। मंच पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि मुगल सत्ता जब भारत
में कमज़ोर हो रही थी, तब ईसाई मिशनरियों ने अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने
के लिए समय का अच्छा लाभ उठाया। इन्हीं कुछ बातों के साथ अपनी बेबाक प्रस्तुति को
उन्होंने समाप्त किया।
अगले प्रतिभागी के तौर पर शोध छात्र निशांत भूषण ने
अपना शोध प्रपत्र 'वृद्ध विमर्श और साहित्य' विषय पर बेहद
ओजस्विता के साथ प्रस्तुत किया और इसके दरम्यान उन्होंने कहा कि वृद्ध
विमर्श आज के युग की आवश्यकता है क्योंकि आज वृद्धों को बोझ मानकर वृद्धाश्रमों
में छोड़ दिया जाता है। वृद्धों के अनुभवों व संस्कारों से युवावर्ग के जीवन
मूल्यों में हो रहे विघटन को रोका जा सकता है। इन्हीं कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर
प्रकाश डालते हुए शोधार्थी ने अपनी प्रस्तुति का समापन किया।
अगली प्रस्तुति के लिए शोधार्थी तरूण कुमार उपस्थित
रहे, जिनकी प्रपत्र
प्रस्तुति का विषय 'हिन्दी कहानियों में किन्नर विमर्श' रहा जो कि समाज में पुरज़ोर विरोध
के साथ अपनी अस्मिता के लिए संघर्ष कर रहा है। मंच पर अपनी प्रस्तुति देते हुए
शोधार्थी ने कहा कि किन्नर विमर्श पर भारतीय और प्रवासी साहित्यकार दोनों ही
सक्रिय लेखन कर रहे हैं एवं कहानियों में प्रवासी रचनाकारों और भारतीय रचनाकारों
के पात्र एक दूसरे से अलग हैं। प्रवासी कहानियों के पात्र आत्मप्रकटीकरण (Come out) करते नज़र आते हैं, तो दूसरी ओर
भारतीय कहानियों में पात्र समाज के समक्ष नहीं आते। इन्हीं कुछ जरूरी बातों से सभी को अवगत कराते हुए एवं
कुछ नए सवालों की तरफ इशारा करते हुए समापन की ओर अपना कदम बढ़ाया।
प्रतियोगिता के
आखिरी प्रतियोगी के तौर पर वहाँ शेफाली राय मौजूद रहीं, जिनका विषय 'स्त्री विमर्श और
नब्बे का दशक' था। इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि 90 के दशक के स्त्री
विमर्श की यह प्रमुख उपलब्धि रही कि इस समय अपनी अस्मिता के अतिरिक्त अन्य सामाजिक
समस्याओं में भी महिलाएँ रूचि लेने लगीं। इसके साथ ही उस समय में अपनी अस्मिता को
लेकर जागरूक स्त्रियों का एक तबका दिखाई पड़ता है, जो अपने शरीर पर अपने अधिकार को लेकर सचेत है। इस तरह
कुछ प्रमुख स्त्री जीवन मूल्यों पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने अपनी वाणी को विराम
दिया।
उत्सव के आगे बढ़ने के क्रम में समापन सत्र दिनांक 22 जून 2023 को 'हिन्दी विभाग' केरल विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य डॉ. हेरमन पी.
जे. (शोध संयोजक)
द्वारा आयोजित पैनल चर्चा में अन्य विश्वविद्यालयों के शोध छात्रों के साथ ही केरल केंद्रीय
विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने भी अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज की, जिसमें शोध से
संबंधित कुछ आवश्यक मुद्दों पर बातें हुई जैसे शोध की समय सीमा की निर्भरता, सामाजिक समस्याओं
से जुड़े साहित्यिक शोध को लेकर सवालों पर विस्तार से चर्चा हुई। पैनल के सदस्यों एवं
शोधार्थियों ने अपने सवाल-जवाब से चर्चा को सफल बनाया, इस सुदृढ़ प्रयास
से शोधार्थी-विद्यार्थी लाभान्वित हुए व अनेक नई जानकारियों से उन्होंने खुद को
परिपूरित किया।
इसी के साथ एक ऐसी शख्सियत (प्रो.हिल्डा
जोसेफ)से मुलाकात हुई , जिन्होंने दक्षिण भारत में विशेषत: केरल में हिन्दी के
प्रचार -प्रसार को लेकर बहुत ही ईमानदारी के साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाया
है और इसके लिए केरल के शिक्षा मंत्री
द्वारा उन्हें इस सक्रियता के लिए सम्मानित भी किया गया है।
इस प्रकार यह शोधकर्ताओं का उत्सव कई प्रमुख सवालों और संवादों के साथ समाप्त हुआ। छात्रों और शोधार्थियों के लिए यह संवाद बेहद उपयोगी रहा। आखिरी में वहाँ लगी प्रदर्शनी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शोधार्थियों ने एक सौन्दर्यशास्त्री की भांति भरपूर आनंद लिया। यह आयोजन सार्थक और भविष्य की नई राहें खोलता नज़र आया।
प्रस्तुति
शेफाली राय
शोधार्थी, हिन्दी विभाग
केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय
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