'शब्दाक्षर' के मासिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन में हिन्दी विभाग के शिक्षक और शोधार्थियों की सहभागिता
इस सुअवसर पर बहु प्रतिभाशाली कवियों और कवयित्रियों ने अपनी सुंदर नज़्मों, गीतों व कविताओं से समाँ बाँध लिया। अध्यक्षा श्रीमती डॉ. पी.लता जी ने सभी कवियों और कवयित्रियों का स्वागत किया और सम्मेलन से जुड़े अन्य श्रोताओं का भी अभिनंदन व्यक्त किया। सम्मेलन में केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने भी भाग लिया। शोधार्थियों में शिरले थॉमस, तरुण, शेफाली राय, रूबी पटेल, शुभास्मिता आदि हाज़िर रहे।
कवि सम्मेलन का आगाज़ संयोजिका डॉ. बिन्दु सी.आर ने कवियों के परिचय के साथ किया। डॉ. बिन्दु सी.आर ने कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना 'वर दे वीणा वादिनी वर दे...' के साथ की। कवियों तथा कवयित्रियों ने विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर कविताओं का पाठ किया और अपनी कविताओं के माध्यम से एक सुखप्रद वातावरण भी बनाया। प्रस्तुत है कार्यक्रम की कुछ झलकियां-
सबसे पहले श्रीमती डॉ. एस. तंकमणी अम्मा ने 'जुगनू' कविता का पाठ किया। 'जुगनू' कविता के माध्यम से कवियित्री ने व्यक्ति के अस्तित्व के बारे में बताया। इसी क्रम में केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनु द्वारा अपनी कविताओं की बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति की गई। डॉ. मनु ने एक कविता 'वक्त पे इतना इल्ज़ाम न बरसे' सुनाई। जिसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं - "वक्त से हमारी लड़ाई/ खूब पुरानी है/ आज भी लड़ाई/ जारी है/ हम थक थक जाएं/ मगर यह वक्त रुकता नहीं/ रोकने में सब कोई बेकमयाब भी है।"
रिश्तों पर आधारित उनकी कविता 'दर ए ख़ाना' की कुछ पंक्तियां हैं - "लोगों का कहना है/ घर बनाना मुश्किल है/घर सजाना मुश्किलतर है ।/ मेरा कहना है/ घर बनाना आसान है/ पत्थर, गारे/ रेत, कंकर/ मिल जाएँगे/ घर बनाना आसान है।/ मेरा कहना है/ घर बनाना आसान है/ रिश्ता बनाना मुश्किल है/ दिल सजाना मुश्किलतरीन है...।"
इसके साथ ही उन्होंने गरीबी, दलितों की दास्तां व देश प्रेम पर आधारित कविताओं का पाठ किया। 'गुरबत' का ज़िक्र करते हुए वह अपनी कविता में कहते है - "गुरबत में गर कोई बच्चा/ मर जाए तो आंखें खुले ही रहेंगी/ अपनी टूटी ख्वाहिशों को/ इज़हार करने की उम्मीद में ।/ जो बच्चा/ शहर की दुकानों की / जादूगरी में / मां की उंगली पकड़ के/ हर बात की ज़िद से/ दूर रहे तो समझ ले/ मुहब्बत से ज्यादा गुरबत ने/ अपने घरौंदे की फिज़ा से/ छोटी उमर में ही/ हयात के बाबों से/ कीमती सबक सीख दिया है।"
डॉ. मनु ने अपनी कविताओं से सभी का मन मोह लिया और बेहतरीन शेर-ओ-शायरी ने भी लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। डॉ. कवितराज एन ने भी अपनी सुंदर कविता 'वक्त' का पाठ किया। इसके बाद, डॉ. संजय कुमार पी.एस ने कविता 'पेंशन' का पाठन किया। जिसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार से हैं - "नवोदय से/ सेवानिवृत्त होकर,/ हर शाम गुब्बारे बेचता हूं मैं।/ आज भी बच्चों को, उनका हक,/ रंगीन सपने बेचता हूं मैं।।"
अंत में अध्यक्षा डॉ. पी.लता जी ने सभी पदाधिकारियों का अभिनंदन व प्रतिभागीगणों का आभार व्यक्त किया और शुभकामनाएं दीं। इस कार्यक्रम के दौरान सभी कवि तथा मित्र अंत तक उपस्थित रहे और एक दूसरे की हौसला-अफ़ज़ाई की। सभी कवियों ने अपनी कविताओं से सम्मेलन में चार चांद लगा दिए और इस सम्मेलन को यादगार बना दिया। इस प्रकार से कवि सम्मेलन का सफ़ल समापन हुआ।
रिपोर्ट प्रस्तुति
प्रगति
शोधार्थी, हिंदी विभाग, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय।
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