‘21वीं सदी का हिन्दी साहित्य और विविध विमर्श’ द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न
27-28 फरवरी 2020, केरल
केन्द्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के तत्वावधान में ‘21वीं सदी का
हिन्दी साहित्य और विविध विमर्श’ विषय पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। संगोष्ठी का उद्घाटन
कुलसचिव डॉ. ए. राधाकृष्णन नायर ने करते हुए कहा कि संगोष्ठी के लिए चुना गया विषय
बहुत प्रासंगिक हैं और किसी भी देश में वहां के परिवर्तनों के पीछे विश्वविद्यालय
स्तर पर हुई ऐसी क्रियात्मक चर्चाओं तथा बहसों की महत्वपूर्ण भूमिका पाई जाती है।
उद्घाटन समारोह में कर्नाटक विश्वविद्यालय के हिन्दी
विभागाध्यक्ष प्रो. सीताराम के पवार ने बीजभाषण देते हुए कहा कि साहित्य का
उद्देश्य समाज की उन्नति होना चाहिए। केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी
विभागाध्यक्ष डॉ.तारु एस. पवार ने समारोह की अध्यक्षता की। डॉ. जोसेफ कोयिप्पल्ली,
प्रभारी संकायाध्यक्ष, भाषा एवं तुलनात्मक
साहित्य विद्यापीठ और हिन्दी अधिकारी डॉ. टी. के. अनीश कुमार ने आशिर्वचन दिया।
डॉ.सीमा चंद्रन ने स्वागत भाषण दिया और डॉ. राम बिनोद रे ने कृतज्ञता ज्ञापित की।
नेट परीक्षा में उत्तीर्ण नवमी को समारोह में सम्मानित किया गया। इस द्विदिवसीय
राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न स्थानों के अध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित
हैं । संगोष्ठी में उद्घाटन और समापन के अतिरिक्त छ: अकादमिक सत्र हुए जिसमें पारिस्थितिक
विमर्श, दलित विमर्श, आदिवासी विमर्श,
स्त्री विमर्श, किन्नर विमर्श आदि विषयों पर
चर्चाएँ हुई। इस संगोष्ठी में लखनऊ के डॉ. बृजेश कुमार,
प्रो. मंजुनाथ अम्बिग, प्रो. नामदेव गौड़ा, डॉ. सुमा रोडनकर, दिल्ली से डॉ. बन्नालाल मीणा,
तमिलनाडु से डॉ. आनंद पाटिल, डॉ. सुमित पी,
डॉ. नर्मदा, डॉ. संध्या,
डॉ. राजन के, डॉ. इंदु के वी आदि अन्य वक्ताओं ने अपने-अपने विचार
व्यक्त किए। संगोष्ठी का समन्वयन डॉ.धर्मेन्द्र प्रताप सिंह और डॉ. सीमा चंद्रन ने
किया।
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