‘अज्ञेय के काव्य में व्यक्ति और समाज’ विषय पर हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित आमंत्रित वक्तव्य
ब्रौशर : प्रदुन कुमार, आदित्य |
दिनांक 24 नवंबर 2025
को केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग
द्वारा सिंधु ब्लॉक के कक्ष संख्या 213 में ‘अज्ञेय के
काव्य में व्यक्ति और समाज’ विषय पर आमंत्रित वक्तव्य
का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय कुलगीत के साथ हुआ।
कार्यक्रम की संचालिका शोधार्थी शेफाली राय ने अध्यक्ष प्रो.(डॉ.)
मनु, मुख्य वक्ता प्रो. प्रेम सिंह, माननीय अतिथि वी. राघवन चेरिया और संयोजक सहायक आचार्य डॉ. राम बिनोद रे
सहित सभी शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं का
स्वागत किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष व हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) मनु
ने अध्यक्षीय भाषण दिया। तथा अपने शब्दों से अनुग्रहित किया। अज्ञेय शब्द के
उच्चारण को लेकर बात की। तारसप्तक के कवि प्रभाकर माचवे का जिक्र करते हुए अज्ञेय
की कविता ‘हरी घास पर क्षण भर’ के बारे में अपनी अभिव्यक्ति दी इसके साथ ही अपनी कुछ कविताओं को भी
सुनाया।
इसके उपरांत विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) मनु ने कार्यक्रम के मुख्य
वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रो.(डॉ.) प्रेम सिंह को मोमेंटों व शॉल
देकर सम्मानित किया। आमंत्रित वक्ता के
वक्तव्य से पूर्व परास्नातक छात्रा अपर्णा ने उनका परिचय प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर आए प्रो. प्रेम सिंह ने ‘अज्ञेय के काव्य में व्यक्ति और समाज’ विषय पर
अत्यंत गहन और विद्वत्तापूर्ण वक्तव्य दिया। उन्होंने सर्वप्रथम कहा कि प्रयोग को
वाद मानने का अर्थ है कि कदमताल करना अत: प्रयोग में वाद लगाने को बहुत महत्वपूर्ण
नहीं माना। उन्होंने शुरूआत दर्शन के आधार पर साहित्य में छायावाद से लेकर
प्रयोगवाद तक कैसी अभिव्यक्ति है उस आधार पर की। प्रगतिवाद और मस्ती काव्य की
प्रवृत्तियों को बताते हुए प्रयोगवाद के आने की जरूरत के कारणों की ओर इशारा किया। कलगी
बाजरे की, असाध्य वीणा कविता पर विस्तृत बात करते हुए
केशकंबली और मुक्तिबोध के अंधेरे में कविता में उपस्थित नायक की भी बात की।
वक्तव्य के पश्चात प्रश्नोत्तरी एवं चर्चा सत्र चला। इसमें उपस्थित
जिज्ञासुओं ने वक्ता से प्रश्न पूछकर ज्ञानवृद्धि की। मान सिंह द्वारा मुख्य वक्ता
से नकेनवाद संबंधी प्रश्न पूछा गया।
कार्यक्रम समापन से पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) मनु द्वारा
स्वरचित काव्य पाठ किया गया। आपके काव्य के मूल्यवान शब्दों ने कक्ष के माहौल को
ख़ुशनुमा बना दिया। कार्यक्रम का समापन
राष्ट्रगान के साथ हुआ।
कार्यक्रम का मंच संचालन कुशलतापूर्वक शोधार्थी शेफाली राय द्वारा
किया गया। कार्यक्रम के अंत में स्नातकोत्तर की छात्रा श्रीनित्या ने सभी को
धन्यवाद ज्ञापित किया। समस्त आयोजन क्रियाकलापों को मूर्त रूप देने वाले आमंत्रित
वक्तव्य के संयोजक डॉ. राम बिनोद रे थे। इसके
अतिरिक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में नवीन, मानसिंह, मंजिमा, नंदकिशोर, ऋतुवर्णा, अस्वथी, श्रीलक्ष्मी, नन्दिता, विनीता, अपर्णा
श्रीनित्या आदि शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं की भी अहम भूमिका रही।
रिपोर्ट लेखन- प्रदुन कुमार, शोधार्थी, हिन्दी विभाग, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय
| विश्वविद्यालयी कुलगीत के सम्मान में/ फोटो : मान सिंह |
विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) मनु
अध्यक्षीय भाषण देते हुए / फोटो : प्रदुन
कुमार |
विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) मनु मुख्य वक्ता प्रो. प्रेम सिंह को मोमेंटों और शाल से सम्मानित करते हुए फोटो : योयी,
मान सिंह |
परास्नातक छात्रा अपर्णा मुख्य वक्ता का परिचय देती हुई / फोटो : मान सिंह |
शोधार्थी शेफाली राय स्वागत भाषण देती हुई / फोटो : मान सिंह |
मुख्य वक्ता प्रो. प्रेम सिंह, सेवानिवृत, दिल्ली विश्वविद्यालय ‘अज्ञेय के काव्य में व्यक्ति और समाज’ विषय पर वक्तव्य देते हुए / फोटो : तरुण कुमार, मान सिंह |
विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ.) मनु स्वरचित काव्य पाठ करते हुए / फोटो : योयी, मान सिंह |
स्नातकोत्तर की छात्रा श्रीनित्या धन्यवाद ज्ञापित करते हुए / फोटो : श्रीलक्ष्मी |
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