हिंदी विभाग द्वारा अभिभावक-शिक्षक बैठक (PTA Meeting) का आयोजन
इसके
पश्चात, प्रो.
(डॉ.) तारु एस.पवार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC)
के
दिशा-निर्देशों और नए सेमेस्टर पाठ्यक्रम पैटर्न के बारे में विस्तार से जानकारी
दी, जिससे अभिभावकों
को मूल्यांकन प्रक्रिया समझने में आसानी हुई।
डॉ.
सीमा चंद्रन ने छात्रावास के नियमों पर चर्चा की और अभिभावकों के संवाद स्थापित किया।
उन्होंने छात्रों के लिए रेलवे और अन्य क्षेत्रों में हिंदी से संबंधित रोजगार के
विभिन्न अवसरों के बारे में भी बताया। डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने पुस्तकालय के
सही उपयोग और छात्रों के व्यक्तिगत विकास पर जोर दिया। उन्होंने अभिभावकों से
नियमित रूप से अपनी प्रतिक्रिया देने का आग्रह भी किया ताकि छात्रों के लिए बेहतर
माहौल बनाया जा सके। डॉ.राम बिनोद रे ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि
छात्रों को केवल हिंदी साहित्य तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए,
बल्कि
उन्हें अन्य विषयों का ज्ञान भी प्राप्त करना चाहिए जिससे उनका समग्र विकास हो
सके। उन्होंने छात्रों को हिंदी में वार्तालाप करने के लिए प्रोत्साहित किया,
जिससे
उनकी भाषा में प्रवाह आ सके। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
और
अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी के महत्व व अवसरों पर भी प्रकाश डाला।
बैठक
के दौरान, सर्वसम्मति
से पी.टी.ए
कार्यकारी समिति (PTA Executive Committee) का
गठन भी किया गया जिसके अंतर्गत अध्यक्ष के रूप में श्रीमति सुशीला के.एम. (विनीता
एम, परास्नातक
द्वितीय वर्ष छात्रा के अभिभावक),
सचिव के रूप में डॉ. सुप्रिया पी. नियुक्त हुई और श्री.सजीवन (अंजली पी के.,
परास्नातक
द्वितीय वर्ष छात्रा के अभिभावक), श्री
जयम सी.पी.के.(नन्दिताजय
सी.पी.के,
परास्नातक प्रथम वर्ष छात्रा के अभिभावक),
डॉ.
सीमा चंद्रन,
डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह,
डॉ. राम बिनोद रे अन्य पाँच कार्यकारी सदस्यों के रूप में नियुक्त किए गए। कार्यक्रम के अंत में डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह
ने सभी उपस्थित अभिभावकों, शिक्षकों
और छात्रों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस
बैठक ने यह स्पष्ट किया कि छात्रों की सफलता में अभिभावकों की भूमिका अत्यंत है। विभाग ने सभी अभिभावकों से अनुरोध किया कि वे शिक्षकों के साथ
निरंतर संपर्क में रहें और अपने बच्चों को शैक्षणिक एवं व्यक्तिगत विकास के लिए घर
पर एक सहायक और प्रेरक वातावरण प्रदान करें। आपका सहयोग विश्वविद्यालय और छात्रों
के भविष्य के लिए अमूल्य है।
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कार्यक्रम
संचालन व प्रतिवेदन - तरुण
कुमार,
शोधार्थी,
हिन्दी विभाग,
के. के. विश्वविद्यालय
कार्यक्रम
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