केरल ज्योति पत्रिका के विशेषांक ‘शोध धरोहर’ का विमोचन
17 मार्च 2025, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, ‘हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग’ द्वारा ‘शोध धरोहर’ (केरल ज्योति) विमोचन समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन एम. ए प्रथम वर्ष की छात्रा प्रत्युषा प्रमोद ने किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत कुलगीत से हुई।
स्वागत भाषण प्रो (डॉ) तारु एस पवार द्वारा दिया गया जिसमें आपने क्रमशः प्रभारी कुलपति प्रो विन्सेंट मेथ्यू, हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो (डॉ) मनु, अकादमिक अधिष्ठाता प्रो अमृत जी कुमार, कुलसचीव डॉ एम मुरलीधरन, अधिष्ठाता प्रो जोसेफ कोइपल्ली, पूर्व अधिष्ठाता प्रो राजीव वी (मलयालम विभाग), आई. क्यू. ए. सी. निदेशक प्रो ए माणिकवेलु, डॉ सीमा चंद्रन, डॉ राम बिनोद रे एवं डॉ सुप्रिया पी का स्वागत किया।
इसके पश्चात् दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर विंसेंट मैथ्यू (प्रभारी कुलपति, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने किया। आपने बताया कि केरल ज्योति पत्रिका को सिर्फ एक पत्रिका तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे दक्षिण भारत की गिनी-चुनी पत्रिकाओं में से एक बनाया जाए। आपने विस्तार पूर्वक बताया कि ज्ञान को कैसे उद्घाटित किया जाए। इसके पश्चात अध्यक्षीय भाषण प्रो (डॉ) मनु द्वारा दिया गया आपने यह बताया कि पीएचडी उपाधि के लिए दो यूजीसी केयर लिस्टेड लेख की आवश्यकता होती है। साथ ही ‘केरल ज्योति’ के संपादक प्रो डी तंकप्पन नायर एवं डॉ रंजीत रविशैलम का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। इसके बारे में आपने एक परिंदे का उदाहरण देते हुए यह बताया कि ‘जीवन में किस प्रकार एक निशान छोड़ना ज़रूरी होता है, जीवन कितना भी छोटा हो मगर उसमें एक छाप छोड़ना कितना आवश्यक है।’ इसके पश्चात प्रभारी कुलपति विंसेंट मैथ्यू द्वारा पत्रिका का विमोचन किया गया तथा आपने प्रो (डॉ) मनु को शॉल एवं पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। इसके पश्चात ‘शोध धरोहर’ में प्रकाशित लेखकों (शिक्षकगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों) को प्रभारी कुलपति विंसेंट मैथ्यू द्वारा पत्रिका, प्रमाण पत्र एवं पांच दिवसीय आयोजित कार्यशाला का भी प्रमाण पत्र अपने कर-कमलों से वितरित किया। विमोचन भाषण डॉ अनीश कुमार टी के द्वारा दिया गया, जिसमें आपने बताया कि ‘केरल ज्योति’ पत्रिका ‘हिंदी प्रचार सभा’ की पत्रिका है। ‘शोध धरोहर’ विशेषांक ‘हिन्दी प्रचार सभा’ के नवती वर्ष के उपलक्ष्य में ‘केरल ज्योति एवं हिन्दी विभाग केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय’ के संयुक्त प्रयास से प्रकाशित किया गया। इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों एवं केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के 16 शोधार्थी व छह शिक्षकों के लेख इसमें प्रकाशित है, यह बहुत गौरव की बात है। यह किस प्रकार केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए 188 पन्नो का अमूल्य धरोहर है। आपने माला का उदाहरण देते हुए यह बताया कि माला में जिस प्रकार से अलग-अलग रंग के फूलों को पिरोना जितना कठिन कार्य होता है, उसी प्रकार लेखो को एकत्रित करना और इसका संपादन करना मुश्किल कार्य है परंतु प्रो (डॉ) मनु सर द्वारा इसे बहुत अच्छे ढंग से किया गया।
इसके पश्चात आशीर्वचन प्रो अमृत जी कुमार ने बताया कि यह पत्रिका उनके लिए एक तोहफ़े की तरह है। प्रो राजीव कुमार (मलयालम विभाग, पूर्व अधिष्ठाता, भाषा एवं तुलनात्मक साहित्य विद्यापीठ, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने बताया आज हिंदी विभाग के लिए हर्ष का दिन है। केरल ज्योति पत्रिका, केरल हिंदी प्रचार सभा द्वारा 1890 में प्रो डी तंकप्पन नायर द्वारा शुरू की गई।
प्रो ए मणिकवेलु (निदेशक, आई. क्यू. ए. सी. केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने कहा कि हिंदी विभाग ने बहुत ही अच्छा प्रयास किया है यह आई क्यू ए सी के लिए बहुमूल्य है। लेखकों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है समाज को कुछ योगदान देना। आपने सुझाव दिया कि विज्ञान विषय के शोधार्थियों से मिलकर उनके लेखों को भी अपनी भाषा में अनुवादित कर ज्ञान में बढ़ोतरी करना चाहिए। आपने कहा कि हिंदी एक समृद्ध भाषा है इसी का निरंतर प्रचार प्रसार होता रहना चाहिए, इसलिए आप सभी आसपास के स्कूलों में जाकर हिंदी के प्रचार प्रसार में सहायता करें।
धन्यवाद ज्ञापन के लिए सहायक आचार्य धर्मेंद्र प्रताप सिंह (हिन्दी विभाग, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय) द्वारा दिया गया। आपने बताया कि यह कोई पहली पत्रिका नहीं है। इससे पहले भी उन्होंने मालाबार स्पंदन के रूप में एक अन्य पत्रिका विभाग की तरफ से निकली थी प्रत्येक बार अलग-अलग नाम से पत्रिका निकाली जा रही है। आपने आई क्यू ए सी और NAAC के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है उसके बारे में बताया। विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ विशेष सहयोग के लिए सभा में उपस्थित सभी शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को भी धन्यवाद ज्ञपित किया। तत्पश्चात सभा की समापन की घोषणा की गई।
रिपोर्ट प्रस्तुति- मान सिंह, शोधार्थी, हिन्दी विभाग, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, कासरगोड
Comments
Post a Comment