साहित्य सिनेमा से जुड़कर समाज को नई दिशा देता है- सुशीला टाकभौरे
30 मार्च 2023, हिंदी एवं तुलनात्मक साहित्य विभाग, केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट सेल के अंतर्गत 'हिंदी साहित्य का फिल्मी रूपांतरण' विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रसिद्ध महिला दलित चिंतक सुशीला टाकभौरे मौजूद रही। सुशीला टाकभौरे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कृति के फिल्मी रूपांतर में लेखक के साथ न्याय और अन्याय दोनों होता है। इस संदर्भ में उन्होंने डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पर बनी फिल्म का उल्लेख किया। इसके साथ ही हिंदी साहित्य की अनेक कृतियों जैसे तमस, झूठा सच, निर्मला, गबन, गोदान, सेवासदन, सूरज का सातवां घोड़ा, गुनाहों का देवता, तीसरी कसम, पति पत्नी और वो, काशी का अस्सी, यही सच है, शतरंज के खिलाड़ी, कोहबर की शर्त आदि रचनाओं पर बनी फिल्मों का उल्लेख करते हुए कहा कि साहित्य सिनेमा से जुड़कर समाज को नई दिशा देता है। हमारे देश में नारी जागृति पर बहुत कम फिल्में बनी है। समाज में अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। रोटी व्यवहार के साथ बेटी व्यवहार भी प्रचलन में आना चाहिए। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'शिकंजे का दर्द' के मर्म को उद्घाटित करते हुए महिला लेखिकाओं में मन्नू भंडारी, उषा प्रियंवदा, ममता कालिया, कौसल्या नंदेश्वर बैसंत्री, कृष्णा अग्निहोत्री आदि की रचनाओं में वर्णित सामाजिक कुरीतियों पर बात की। 'यही सच है' कहानी पर रजनीगंधा फिल्म बनी। कार्यक्रम का अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मनु ने कहा कि सुशीला टाकभौरे के साहित्य में चीत्कार, गुहार, ललकार, हुंकार दिखाई देती है। साथ ही उन्होंने कहा कि तजुर्बे की चिंगारी समाज में आग लगा सकती है। फिल्मकार के लिए कोई भी रचना एक सौदा होती है और दर्द बेचकर पैसा कमाना साहित्य का लक्ष्य नहीं है। यही कारण है कि साहित्यिक रचनाओं पर बनी अधिकांश फिल्में सफल नहीं हो पाती। कार्यक्रम का स्वागत विभाग की प्रोग्राम अधिकारी और कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. सीमा चंदन एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. तारु एस. पवार द्वारा दिया गया। विशिष्ट वक्ता का परिचय एम.ए. तृतीय सेमेस्टर की छात्रा जोशी जोन्स ने किया और संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन पीएच.डी. शोध छात्र रोहित जैन ने किया। विभागीय शिक्षक डॉ. सुप्रिया पी., डॉ. राम बिनोद रे और डॉ. धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने वार्तालाप के द्वारा कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। उपरोक्त कार्यक्रम में 30 प्रतिभागी सम्मिलित हुए।
सुशीला टाकभौरे को सम्मानित करते विभागीय शिक्षक |
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