प्रेमचंद गलत परंपराओं की रखवाली नहीं चाहते थे- राजेंद्र उपाध्याय
31 जुलाई 2023, हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद की 143 वीं जयंती के उपलक्ष्य में ' मानवाधिकार के संरक्षक : प्रेमचंद ' विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता आकाशवाणी दिल्ली के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक श्री राजेंद्र उपाध्याय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रेमचंद गलत परंपराओं की रखवाली नहीं चाहते थे। स्त्री के संपत्ति में अधिकार की बात है 1932 में ही उठाते हैं। पशु-पक्षियों के मानवीय नाम उनकी प्रति संवेदना को जागृत करने वाले हैं। हजारों साल से हो रहे दलितों-पीड़ितों की आवाज सद्गति और ठाकुर कुआं के माध्यम से उठाते हैं। उनके साहित्य में बाजार का विरोध देखने को मिलता है। गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए भाषा एवं तुलनात्मक साहित्य विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष प्रोफ़ेसर वी. राजीव ने कहा कि प्रेमचंद ऐसे रचनाकार हैं जिन्हें सभी भाषाओं के लोग जानते हैं और उन्होंने भारतीय साहित्य को समृद्ध किया है। केरल के पाठ्यक्रम में भी उनकी रचनाएं शामिल हैं। प्रतिबंधित साहित्य का मतलब ऐसे साहित्य से है जिसे शासन और सत्ता छिपाना चाहता है और प्रेमचंद के साहित्य में उसी की झलक द...